“भारतीय मत्स्य क्षेत्र का विकास: ब्लू रिवोल्यूशन, सरकारी योजनाएँ और भविष्य की संभावनाएँ”

भारतीय मत्स्य क्षेत्र: ब्लू रिवोल्यूशन और इसका भविष्य :

मत्स्य क्षेत्र भारतीय कृषि विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसे भारत में “सनराइज़ सेक्टर” कहा जाता है क्योंकि इसमें अपार वृद्धि की संभावनाएँ हैं। भारत सरकार ने देश में मत्स्य उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए “ब्लू रिवोल्यूशन” नामक केंद्र प्रायोजित योजना शुरू की, जिसे डॉ. हीरालाल चौधरी के मार्गदर्शन में संचालित किया गया। अब इस योजना को “न्यू ब्लू रिवोल्यूशन” के रूप में फिर से लॉन्च किया गया है। इस लेख में, हम मत्स्य क्षेत्र के विकास, सरकारी योजनाओं और इसके भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा करेंगे।

ब्लू रिवोल्यूशन का परिचय:

ब्लू रिवोल्यूशन, जिसे नील क्रांति मिशन के नाम से भी जाना जाता है, भारत सरकार द्वारा दिसंबर 2015 में शुरू की गई एक केंद्र प्रायोजित योजना है। इसका उद्देश्य मत्स्य उत्पादन को टिकाऊ तरीके से बढ़ाना है। इस योजना के लिए 2015-16 से 2019-20 तक के लिए 3000 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया था।

इस योजना का मुख्य उद्देश्य मत्स्य पालन को तकनीकी रूप से आधुनिक बनाना, खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना और मछुआरों एवं जलीय कृषि किसानों के लिए रोजगार सृजन करना है।

पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग ने ब्लू रिवोल्यूशन योजना को मौजूदा योजनाओं के साथ विलय कर दिया है। यह पुनर्गठित योजना अब मत्स्य पालन के विकास और प्रबंधन पर केंद्रित है, जिसमें अंतर्देशीय और समुद्री मत्स्य पालन, गहरे समुद्र में मछली पकड़ना, जलीय कृषि, समुद्री कृषि और राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (NFDB) द्वारा देखरेख की जाने वाली सभी गतिविधियाँ शामिल हैं।


न्यू ब्लू रिवोल्यूशन पर सरकारी योजनाएँ और पहल

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY):

यह योजना मत्स्य विभाग द्वारा शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य मत्स्य क्षेत्र का पारिस्थितिक रूप से स्वस्थ, आर्थिक रूप से व्यवहार्य और सामाजिक रूप से समावेशी विकास करना है। इसके प्रमुख उद्देश्य हैं:

  • भूमि और जल के उत्पादक उपयोग के माध्यम से मछली उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाना।
  • मछली पकड़ने के बाद प्रबंधन और गुणवत्ता सुधार के माध्यम से मूल्य श्रृंखला का आधुनिकीकरण।
  • एक मजबूत मत्स्य प्रबंधन और ढांचा तैयार करना।

यह योजना 2020-21 से 2024-25 तक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू की जा रही है। इसका उद्देश्य मत्स्य क्षेत्र में 55 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार अवसर पैदा करना है। यह योजना मछुआरों और मछली किसानों की आय दोगुनी करने का भी लक्ष्य रखती है, जिससे उनकी आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित हो।

प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह योजना (PMMKSSY):

यह प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत शुरू की गई एक केंद्रीय उप-योजना है, जिसे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2023-24 के केंद्रीय बजट में पेश किया। इस योजना में 6,000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। इसका उद्देश्य मत्स्य किसानों और मत्स्य क्षेत्र में लघु एवं सूक्ष्म उद्यमों की आय को और बढ़ाना है।

मत्स्य और जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (FIDF):

FIDF को राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (NFDB) द्वारा लागू किया जा रहा है। इसका उद्देश्य 20 मिलियन टन मछली उत्पादन का लक्ष्य प्राप्त करना है। इस योजना के तहत, कई राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों और निजी उद्यमियों को वित्तीय सहायता दी जाती है, जिससे मत्स्य क्षेत्र का समग्र विकास हो सके। यह योजना 2023-24 से 2025-26 तक 3 साल के लिए बढ़ा दी गई है।

किसान क्रेडिट कार्ड (KCC):

किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना मछुआरों को उनकी कृषि संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। 2018-19 से, यह योजना मछुआरों और मत्स्य किसानों की विशेष आवश्यकताओं, जैसे ट्राउट मछली पालन के लिए, विस्तारित की गई है।


भारतीय मत्स्य क्षेत्र की वर्तमान स्थिति और भविष्य:

पिछले कुछ वर्षों में भारतीय मत्स्य क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है। भारत आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक, दूसरा सबसे बड़ा जलीय कृषि उत्पादक और चौथा सबसे बड़ा मछली और मत्स्य उत्पाद निर्यातक बन चुका है।

ब्लू रिवोल्यूशन ने मछुआरों और किसानों को आय, पोषण और खाद्य सुरक्षा प्रदान करने में बड़ी भूमिका निभाई है। सरकार इस क्षेत्र में अधिक उत्पादन बढ़ाने और इसे नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने के लिए लगातार पहल कर रही है। इससे यह स्पष्ट है कि आने वाले वर्षों में मत्स्य क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण योगदान देगा।

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